भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दरपण / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:53, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=लीकल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
रै’सी चैरो सागी
फिर भलांई देखती
कता ही दरपण !
बणग्यो थारै
निळजै मन रो बैम
बापड़ी आंख्या रो
विसन !