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आंको ! / कन्हैया लाल सेठिया

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फिरतां ही
जुग रो पसवाड़ो
टूटगी
बंधेज री
फौलादी सांकळ
कोनी रही अबै
कलम
हंसियै’र हथोडै रै
अड़ाणै
हारग्या
वरग जुद्ध रा हिमायती
मोरचो
समझग्या
जनवाद रै नारै नै
उछाळणियां
कोनी करया जा सकै
मिनख री चेतणा रा
टुकड़ा
निरथक है
बिन्यां संवेदणा
सिरजण री कलपना !