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भेळप / कन्हैया लाल सेठिया

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बैठग्यो आ’र कागलो
अडवै रै माथै
मार दो चार टांच
करली जांच
फेर कर’र कांव कांव
दियो पंखेरूआं नै नूंतो
आओ खेत चुगो,
देख’र करसो
फेंक्यो ताक ’र
गोफण स्यूं भाटा
हुग्या डर’र पंखेरू
बांध’र पंज्या करसो
टांग दियो मरोडयै कागलै नै
खेजडी पर
देख’र हुग्या निराई कागला भेळा
मचा दी कांगारोळ
मारै उड उड’र अडवै रै टांचां
कठै मिनख जात में इसी
संवेदणा’र भेलप ?