भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रात (01) / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:59, 28 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=हेमा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
तारा
रात री भैंस रै
थणां स्यूं टपकता
दूध रा टोपा,
चांद
गिगनार री
हांडी में
जमायोड़ी दही,
सूरज
बिलोयोड़ो चूंटियो
तावड़ो पिघल्योड़ो घीव
जकै स्यूं चुपड़ी जै
धरती री लूखी रोटी !