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सूर्यास्त होने को है / अश्वनी शर्मा

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सूर्यास्त होने को है
इन सुनहरे टीलों के पार
टीलों की रौंदतें सैलानी
ऊंट और ऊंट गाड़ों को दौड़ा रहे हैं
सैलानियों में उत्साह चरम पर है

कई सैलानी तलाश रहे हैं
संभावना क्या ऊंट गाड़ों की जगह
लाया जा सकता है कोई डेजर्ट व्हीकल
साजिशन फुसफुसा रहे है कानों में
इशारों में समझ रहे हैं टीलों को लूट लेने के गुर
सुनहरी रेत उनकी आंखों में
शुद्ध सोने-सी चमक रही है
ऊंट उन्हें इस किले का आखिरी रक्षक लगता है
जिसका अस्तित्व ये शीघ्र ही खत्म कर देंगे

उधर कैमरे तैयार हो रहे हैं
सूरज की लाल गेंद के
धीरे-धीरे डूबने वाले दृश्य को
अपनी याद में संजो लेने के लिये

रेगिस्तान में सूर्यास्त
देखने ही क्यों आते हैं सैलानी
क्या रेगिस्तान में सूर्योदय नही होता ।