भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कपास के फूल / विपिन चौधरी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:06, 15 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विपिन चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)
दुनिया के सारे गुलाब
हमने प्रेमियों को थमा दिए
गुलमोहर
कठफोड़वों को
सफ़ेद फूल
मुर्दों की तसल्ली के लिए रख छोड़े
गोलदावदी के फूलों ने
हमारी सर्दी का इलाज़ किया
चीड़ की टहनियों से
कुर्सी मेज़ बना दिए
सूरजमुखियों को इकट्ठा कर
तेल कारख़ाने भेज दिया
कमल
लक्ष्मी के चरणों में चढ़ा दिए
हमारे सपनों के हिस्से कपास के सफ़ेद फूल ही आए
और आँख खुली तो सिर्फ़
फूल झड़ी टहनियाँ