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हाय रे वो दिन क्यों ना आए / शैलेन्द्र
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हाये रे वो दिन क्यों ना आए
जा जा के ऋतु लौट आए
झिलमिल वो तारें, कहाँ गए सारे
मन बाती जले, बुझ जाए
हाये रे वो दिन...
सुनी मेरी बीना, संगीत बिना
सपनों की माला मुरझाए
हाये रे वो दिन...