भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
माँ पर हाइकु / जेन्नी शबनम
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:00, 13 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जेन्नी शबनम |संग्रह= }} {{KKCatHaiku}} <poem>1. तौ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
1.
तौल सके जो
नहीं कोई तराजू
माँ की ममता !
2.
समझ आई
जब खुद ने पाई
माँ की वेदना !
3.
माँ का दुलार
नहीं है कोई मोल
है अनमोल !
4.
असहाय माँ
कह न पाई व्यथा
कोख़ उजड़ी !
5.
जो लुट गई
लाड़ में मिट गई
वो होती है माँ !
6.
प्यारी बिटिया,
बन गई वो माँ-सी
पी-घर गई !
7.
पराई हुई
घर-आँगन सूना
माँ की बिटिया !
8.
सारा हुनर
माँ से बिटिया पाए
घर बसाए !
9.
माँ का अँचरा
सारे जहाँ का प्यार
घर संसार !
10.
माँ का कहना
कभी नहीं टालना
माँ होती दुआ !
11.
माँ की दुनिया
अँगना में बहार
घर-संसार !
(मई 8, 2011)