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रात भी है कुछ भीगी-भीगी / साहिर लुधियानवी
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रात भी है कुछ भीगी- भीगी, चांद भी है कुछ मद्धम-मद्धम
तुम आओ तो आँखें खोले, सोई हुई पायल की छम-छम
किसको बताएँ, कैसे बताएँ, आज अजब है दिल का आलम
चैन भी है कुछ हलका-हलका, दर्द भी है कुछ मद्धम-मद्धम
तपते दिल पर यूँ गिरती है, तेरी नज़र से प्यार की शबनम
जलते हुए जंगल पर जैसे, बरखा बरसे रुक-रुक थम-थम
रात भी है कुछ भीगी-भीगी, चांद भी है कुछ मद्धम-मद्धम
होश में थोड़ी बेहोशी है, बेहोशी में होश है कम-कम
तुझ को पाने की कोशिश में दोनों जहाँ से खो गए हम
चैन भी है कुछ हलका-हलका, दर्द भी है कुछ मद्धम-मद्धम