Last modified on 23 नवम्बर 2007, at 12:37

हम इन्तज़ार करेंगे तेरा क़यामत तक / साहिर लुधियानवी

77.41.122.195 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 12:37, 23 नवम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=साहिर लुधियानवी |संग्रह= }} हम इन्तेज़ार करेंगे तेरा क...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


हम इन्तेज़ार करेंगे तेरा क़यामत तक

ख़ुदा करे कि क़यामत हो और तू आए


यह इन्तेज़ार भी एक इम्तेहान होता है

इसी से इश्क का शोला जवान होता है

यह इन्तेज़ार सलामत हो और तू आए


बिछाए शौक़ के सजदे वफ़ा की राहों में

खड़े हैं दीद की हसरत लिए निगाहों में

कुबूल दिल की इबादत हो और तू आए


वो ख़ुशनसीब हो जिसको तू इन्तेख़ाब करे

ख़ुदा हमारी मौहब्बत को कामयाब करे

जवाँ सितार-ए-क़िस्मत हो और तू आए


ख़ुदा करे कि क़यामत हो और तू आए