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गिलोटिन यन्त्र / पवन करण

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यन्त्र होने से पहले वह धातु था
जैसे मकान होने से पहले वह लोहा होता है
धीरे-धीरे वह धड़कने लगता है
चलने लगती है उसकी साँस
गिलोटिन यन्त्र के साथ यही हुआ

शुरू-शुरू में तो वह असमंजस में रहा
मगर जैसे-जैसे गर्दनें कटने
लाई जानें लगीं उस पर लगातार
रक्त की चिपचिपाहट करने लगी उसे परेशान

बे-जुबान की भी जुबान होती है
बाद में यह होने लगा
एक चीख़ गर्दन कटने वाले की निकलती
तो एक उसकी

मगर जब उसे गढ़ने वाले
डॉ० गिलोटिन की गर्दन कटने के लिए
उस पर लाई गई उसके मुँह से
चीख़ की जगह किलकारी फूटी

डॉ० गिलोटिन : फ्राँसिसी राज्य क्राँति के बाद के उथल-पुथल के दौर में आरोपों की पड़ताल हेतु त्वरित अदालतों की स्थापना की गई। जिनमें आरोपितों की गर्दन काटने हेतु डॉ० गिलोटिन ने एक यन्त्र बनाया। बाद में वही यन्त्र डॉ० गिलोटिन की गर्दन काटने के काम आया।