तुम्हारा साथ / निवेदिता

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रात फूलों की तरह नहीं है
न वे दिन हैं पास में
जो धूप की तरह धरती पर खिल उठते हैं
न हवा में लरजते नन्हें रेशमी बादल बरस रहे हैं
न सितारे आसमान में गुँथे हुए हैं
बस तुम हो
घर के इस छत के नीचे
ये सबसे सुन्दर क्षण हैं हमारे बीच
मानो कि गीत और शब्द रच रहे हैं
दुनिया की सबसे महान प्रेम कविता
प्रेम का मतलब है एक दूसरे को देखना
लहरों की धमनियाँ, हवाओं की मौज
के साथ थामे रहना एक-दूसरे का हाथ
कई बार सोचती हूँ कि गारे मिट्टी से बने
घर से भला क्यों प्यार हो
और उसी पल तुम्हारी हँसी सुनती हूँ
और घर की सारी दीवारे खिल-खिल करती डोलती रहती हैं
और हम दोनों घण्टों बैठे रहते
अपनी सबसे प्यारी जगह
बालकनी में
वसन्त की गन्ध
गमले में लगे नन्हें फूलों की भीगी पत्तियाँ
रंगों से भरे सूरज की किरणें
हम डूबे रहते
लहरें हमें बहा ले जाती
वहाँ-वहाँ जहाँ-जहाँ हमारा प्यार ।

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