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तुम मेरी विधवा आठ बरस से-2 / नाज़िम हिक़मत
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उन्होंने हमें धर पकड़ा
डाल दिया कारागार में
- मुझे भीतर दीवारों के
- तुम्हें उनके बाहर ।
मेरी हालत उतनी बुरी नहीं है
उससे कहीं ज़्यादा ख़राब बात है
जाने या अनजाने
ढोना अपने भीतर कारागार को
ज़्यादातर लोग यही करते हैं आजकल
ईमानदार, मेहनती, भले लोग
और वे भी उतने ही हक़दार हैं प्यार के
जितनी तुम ।