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जेल से लिखी चिट्ठियाँ-1 / नाज़िम हिक़मत

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सुन्दरतम सागर है वह

जिसे देखा नहीं कभी हमने

सुन्दरतम बच्चा

अभी बड़ा नहीं हुआ

सुन्दरतम दिन अपने

वे हैं जिन्हें जिया नहीं हमने अभी

और वे बेपनाह उम्दा बातें, जो सुनाना चाहता हूँ तुम्हें मैं

अभी कही जानी हैं