भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम मेरी विधवा आठ बरस से-4 / नाज़िम हिक़मत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: नाज़िम हिक़मत  » संग्रह: चलते-फिरते ढेले उपजाऊ मिट्टी के
»  तुम मेरी विधवा आठ बरस से-4

बादल गुज़रते हैं : ख़बरों से लदे हुए । भारी

तुम्हारी वह चिट्टी जो अभी मिली नहीं मुझे, उसे गुड़ी-मुड़ी करता हूँ

दिल के आकार की बरौनियों की नोकों पर :

पुलक उठती है असीम धरती ।

और बहुत ज़ोरों से मन हो रहा है कि चिल्लाऊँ : पी..रे...

पी..रे..


पीरे=नाज़िम हिक़मत की दूसरी पत्नी का नाम