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देवता नाराज़ थे / नित्यानंद गायेन
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खाली हाथ
वह लौट आया
मन्दिर के दहलीज से
नहीं ले जा सका
धूप-बत्ती, नारियल
तो देवता नाराज़ थे
झोपड़ी में
बिलकते रहे
बच्चे भूख से
भगवान
एक भ्रम है
मान लिया उसने