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व्यक्तिगत / भवानीप्रसाद मिश्र
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व्यक्तिगत
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रचनाकार | भवानीप्रसाद मिश्र |
---|---|
प्रकाशक | सरला प्रकाशन, के-17 नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032 |
वर्ष | 1974 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 160 |
ISBN | |
विविध |
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- व्यक्तिगत (कविता) / भवानीप्रसाद मिश्र
- कहीं नहीं बचे / भवानीप्रसाद मिश्र
- ख्याल की ख़राबी / भवानीप्रसाद मिश्र
- मन में कुछ लेकर / भवानीप्रसाद मिश्र
- कविता में ही / भवानीप्रसाद मिश्र
- कला / भवानीप्रसाद मिश्र
- कोई अलौकिक / भवानीप्रसाद मिश्र
- दुनिया के लिए / भवानीप्रसाद मिश्र
- सुबह उठकर / भवानीप्रसाद मिश्र
- मैं अभी / भवानीप्रसाद मिश्र
- मैंने पूछा / भवानीप्रसाद मिश्र
- ऐसे अनजाने / भवानीप्रसाद मिश्र
- मैं / भवानीप्रसाद मिश्र
- एक माँ / भवानीप्रसाद मिश्र
- कुछ ऐसे ख्याल / भवानीप्रसाद मिश्र
- चकित कर देती हैं / भवानीप्रसाद मिश्र
- बिना गिने / भवानीप्रसाद मिश्र
- ऐसा नहीं है / भवानीप्रसाद मिश्र
- वह नहीं रहे होंगे / भवानीप्रसाद मिश्र
- पूरे एक वर्ष / भवानीप्रसाद मिश्र
- सुनाई पड़ते हैं / भवानीप्रसाद मिश्र
- कुछ सूखे फूलों के / भवानीप्रसाद मिश्र
- अपमान / भवानीप्रसाद मिश्र
- हवा ने / भवानीप्रसाद मिश्र
- हर चीज़ से / भवानीप्रसाद मिश्र
- मैं जानता हूँ / भवानीप्रसाद मिश्र
- लो देखो / भवानीप्रसाद मिश्र
- बुरे नहीं थे / भवानीप्रसाद मिश्र
- तुम भीतर / भवानीप्रसाद मिश्र
- सालंकार / भवानीप्रसाद मिश्र
- मुझे अफ़सोस है / भवानीप्रसाद मिश्र
- नहीं / भवानीप्रसाद मिश्र
- सैकड़ों तितलियाँ / भवानीप्रसाद मिश्र
- बाहर निकल गया हूँ / भवानीप्रसाद मिश्र
- निराकार को / भवानीप्रसाद मिश्र
- बिलकुल फ़ाजिल / भवानीप्रसाद मिश्र
- कारण-अकारण / भवानीप्रसाद मिश्र
- कारण बाद में समझा / भवानीप्रसाद मिश्र
- मैं कहता हूँ / भवानीप्रसाद मिश्र
- कई बार / भवानीप्रसाद मिश्र
- दिनकर / भवानीप्रसाद मिश्र
- बहुत छोटी जगह / भवानीप्रसाद मिश्र
- उस दिन भी / भवानीप्रसाद मिश्र
- इदं न मम / भवानीप्रसाद मिश्र
- एक दो दिन नहीं / भवानीप्रसाद मिश्र
- सागर से मिलकर / भवानीप्रसाद मिश्र
- अपने आपमें / भवानीप्रसाद मिश्र
- अभी घड़ी में / भवानीप्रसाद मिश्र
- अनार का मेरा पेड़ / भवानीप्रसाद मिश्र
- काली है आज की रात / भवानीप्रसाद मिश्र
- सीखूंगा / भवानीप्रसाद मिश्र
- फूल गुलाब और / भवानीप्रसाद मिश्र
- दिन के उजाले के बाद / भवानीप्रसाद मिश्र
- क्या हर्ज़ है / भवानीप्रसाद मिश्र
- जैसे घंटों तक / भवानीप्रसाद मिश्र
- बड़ा मीठा खरबूजा / भवानीप्रसाद मिश्र
- घूमने जाता हूँ / भवानीप्रसाद मिश्र
- आज कोई / भवानीप्रसाद मिश्र
- काफ़ी दिन हो गये / भवानीप्रसाद मिश्र
- चौंका देगी उसे / भवानीप्रसाद मिश्र
- रात-भर / भवानीप्रसाद मिश्र
- अच्छी थी / भवानीप्रसाद मिश्र
- भूल नहीं सकता / भवानीप्रसाद मिश्र
- पूरे समारोह से / भवानीप्रसाद मिश्र
- अशरीरी एक आवाज / भवानीप्रसाद मिश्र
- जैसे पंछी के मारफ़त / भवानीप्रसाद मिश्र
- एक अनुभव / भवानीप्रसाद मिश्र
- शून्य होकर / भवानीप्रसाद मिश्र
- लता की जड़ / भवानीप्रसाद मिश्र
- तुमने लिखा / भवानीप्रसाद मिश्र
- जब आप / भवानीप्रसाद मिश्र
- तुमने कुछ / भवानीप्रसाद मिश्र
- तुमने अपना हाथ / भवानीप्रसाद मिश्र
- अधूरे ही / भवानीप्रसाद मिश्र
- परदों की तरह / भवानीप्रसाद मिश्र
- अगले संग्रह में / भवानीप्रसाद मिश्र