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अनुपस्थिति पर फैली उपस्थिति / रजत कृष्ण

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तुम्हारे अनुपस्थिति के दिनों में मैं
तुम्हारी उपस्थिति को ढंग से महासूस कर रहा हूँ
जैसे महसूस करता है किसान
पकी फ़सल में मिट्टी की उपस्थिति को
हवा पानी और धूप की उपस्थिति को

तुम मेरे हिस्से का धूप
हवा पानी धूप हों
और मिट्टी भी
तुमसे पक रही है फ़सल मेरे जीवन की