भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बच्चे-3 / देवयानी
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:08, 9 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवयानी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <...' के साथ नया पन्ना बनाया)
धूप और बारिश के बीच
आसमान मे तना इन्द्रधनुष हैं
मेरे बच्चे
आच्छादित है फलक
उनकी सतरंगी आभा से
जिसके आर पार पसरा है
हरा सब ओर
उनके पीछे
कहीं ज्यादा गाढा हो जाता है
आसमान का नीला
कहीं ज्यादा सरसब्ज हो जाती है धरती