भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वक्त ने किया क्या हंसी सितम / कैफ़ी आज़मी

Kavita Kosh से
Sandeep dwivedi (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 22:05, 1 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: लेखक: कैफ़ी आज़मी Category:कविताएँ Category:गज़ल Category:कैफ़ी आज़मी ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लेखक: कैफ़ी आज़मी

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~**~**~

वक्त ने किया क्या हंसी सितम
तुम रहे न तुम, हम रहे न हम ।

बेक़रार दिल इस तरह मिले
जिस तरह कभी हम जुदा न थे
तुम भी खो गए, हम भी खो गए
इक राह पर चल के दो कदम ।

जायेंगे कहाँ सूझता नहीं
चल पड़े मगर रास्ता नहीं
क्या तलाश है, कुछ पता नहीं
बुन रहे क्यूँ ख़्वाब दम-ब-दम ।