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सेवट / नन्द भारद्वाज

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कांई पाछ राखी है ?
हाल कित्तीक मंगत बाकी है
               औरूं -
इण सदी रै मिनख में?

ओजूं कित्ता बरसां तांई
पींचता रैवौला इणरौ पसेवौ ?
बिनां पसवाड़ौ फेर्यां
चूसता रैवौला इणरौ लोही ?
कद तांई दबायां राख सकौला
मिनखां रा न्याऊ इधकारां नै?
            सेवट कद तांई?

आ तौ विगतावौ -
कुण-सी पीढी नै देवौला
छेलौ पड़ूतर -
थे कद तांई रैवौला लुक्योड़ा यूं घुरकां में?

कांई थे मांन्यां बैठा हौ
के कोनीं किणी रै बाबत
थांरी कोई जवाबदारी ?
कांई थे काळजै माथै हाथ राख
कैय सकौ के आवण वाळौ बगत
राख सकैला थांरी जुबान माथै भरोसौ?

सोचौ!
थोड़ौ थ्यावस सूं विचार कर देखौ -
जिण दिन अै ना-कुछ कणूका
भेळा व्हेय नै पूछैला
थांसूं मनगत रौ म्यांनौ,
थे कठै तांई लुकायां राख सकौला
इण मुळकतै मुखौटे लारै
छिप्योड़ौ
    थांरौ असली विडरूप उणियारौ?

थे तौ मिनखां रा
सपना सराया करता हा,
पछै म्हारा सपनां सूं
थे बिदकण क्यूं लाग्या?
वौ मुठभेड़ वाळौ सपनौ सुणतां
थांरै चैरै री आब क्यूं ऊतर जावै?
क्यूं ऊतरतौ दीखै म्हनै
थांरी आंख्यां रौ पांणी -
थे बात क्यूं पलट देवौ
         अेकाअेक
अैन बंतळ बिचाळै?

थे म्हारै जलम सूं पैली ई
अदीठ बंधणां में
बांध राख्या हा म्हारा माईतां नै
जंगळी जिनावरां सूं रुखाळी नै नांवै,
थे कदेई मैसूस ई कोनीं व्हेण दियौ
वांनै आपरै बूकियां रौ बळ
रखवाय लीवी आगूंच वांरी जुबांन
अर भासा तकात अडांणगत
थांरी अंटी में,

थे डूंडी पिटवाय दीवी
आखै मुलक में
के खुल्लौपण घणौ घातक है
म्हारै मन मगज
अर काया री रुखाळी खातर !

थे ई तौ घोळ नै दीवी ही
वांरै हाथां में आ जलमघूंट
के मिनख तौ हालात रौ दास व्हिया करै
किणी अदीठ सगती रै हाथ रैवै
प्राणी मात्र रौ आज अर आगोतर
फगत संतोख ई अेक छेलौ सुख है
       आखी मानवी स्रस्टी रौ सांच !

थे वांरै लोही में घोळ दीवी
आपरी आतमघाती आदतां
कुबद भरियोड़ी घातक मनसावां -
थे बरसां तांई बांटता रह्या
वांनै वफादारी रा तमगा,
पंपोळता रह्या वांरी दूखती नाड़ां
उदई री अेवज में सूंपता रह्या
पंखेरुआं री पांख्यां वांरौ सत -
थे बणाय नांख्या वांनै
कस-बायरा सेवग -
थांरी मया रा मोहताज मरजीदांन !

म्हैं पिछांण लीवी हूं थांरी हुंसियारी
लोकाचारी मुळक रै मुखौळ लारै
डकारावतौ थांरौ असली उणियारौ,
म्हारी आंख्यां अर अणभव रै उजास में
म्हैं ओळख लिया हूं थांनै
        अंधारै री ओट में।
म्हैं आछी तरै जांणूं
थांरी दोगली जुबान रै मीठै आंटै रौ
              मांयलौ मरम -
जिणमें लोकराज अर समाजवाद सरीखा
सबद-आखरां रौ मेळ कांई अरथ राखै!

असल में जिण तळ माथै ऊभ
थे म्हांनै हांकणी चावौ
दे मीठी टिचकार्यां -
वै सगळी टिचकार्यां
अबै अकारथ व्हेगी है,
जांणै-अणजांणै अबै
चौड़ै आयगी थांरी पोल
ऊघड़ग्या है थांरी मूरत रा
तमाम माळी-पानां,
अर थे चमगूंगा-सा देखता रह्या
खुद रौ उणियारौ आंधै काच में।

इण सदी रै बायेरै में
अणगिणत नवा रसायन घुळग्या है
                 असरदार,
जिका बदळ सकै
पिरथी रौ आखौ भूगोल
भाखरां रा नाक-नक्सा
नदियां रा मारग, धारा मोड़
अर थांरै हाथां नाकाम व्हियोड़ा
मिनखां रा मगज अर वांरी ऊरमा।

अकारण कोनी
आ थांरी बेचैनी अर पिछतावौ -
थांनै अफसोस व्है के
इत्तौ जाबतौ अर जतन कर्यां उपरांत
थे काट कोनीं सक्या मिनखां नै
वांरी जड़ जमीं अर इतिहास सूं -
दो अन्तरविरोधी तत्वां रै द्वंद सूं
उपजता नवा नतीजां नै
टाळ कोनीं सक्या
    थांरा बावना हाथ,
अर इण सदी रै
किणी अेकठ विरोध परबारै ई
अरथहीण व्हेगी
बरसां री थांरी आफळ अर
रात-दिन अणथक आथड़णौ !

आज री घड़ी में
अछांनौ कोनीं थां सूं खुद रौ अंत
थे आ पण जांणौ के
छळावां नै सैवणियां मिनखां री
जद जुलम रै विरोध में
तणीजण लागै नाड़ां -
कित्तौ अमूंझौ भरीज जाया करै
आखै चौफेर में,
बाफ-सी उठण लागै अेकाअेक
गळियां, सड़कां अर चौरावां बळती लाय सूं,

कित्ता संवेदू अर भै-उपजाऊ व्हे जाया करै
वै तमाम ऊजड़ ठिकाणां -
निरजण जंगळ अर घाटियां,
       अंदाजौ है थांनै !
दाटीज जावै थांरी बंदूकां
तोपां री नाळां,
खोटो साबित व्हे जावै सगळौ असलौ
अपूठी फुर जावै तणियोड़ी संगीनां -
थांरै बांधां सूं झिल्लै कोनीं
इण खेबी खायोड़ै पांणी रौ वेग
लोग थांरै घांटै में आंगळी घाल
काढ सकै खुद रा हक !

अर म्हनै परतख दीखै -
औ ही हवाल व्हेणौ है थांरौ
सेवट
    इणीं सदी रै हाथां अेक दिन !

दिसंबर, 1973