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ईसुरी की फाग-12 / बुन्देली
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♦ रचनाकार: ईसुरी
इक दिन होत सबई का गौनों
होनों औ अनहोंनों ।
जाने परत सासरें साँसऊँ
बुरऔ लगै चाय नौंनों
जा ना बात काउ के बस की
हँसी मचै चाय रौंनों
राखौ चायें जौनों ईसुर
दयें इनईं भर सोनों ।