भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गोवर्धन की सिखर चारु पर / छीतस्वामी
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:09, 16 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=छीतस्वामी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad...' के साथ नया पन्ना बनाया)
गोवर्धन की सिखर चारु पर फूली नव मधुरी जाय।
मुकुलित फलदल सघन मंजरी सुमन सुसोभित बहुत भाय॥१॥
कुसुमित कुंज पुंज द्रुम बेली निर्झर झरत अनेक ठांय।
छीतस्वामी ब्रजयुवतीयूथ में विहरत हैं गोकुल के राय॥२॥