भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पवित्रा पहरत हे अनगिनती / सूरदास

Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:22, 20 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatPad}} {{KKAn...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पवित्रा पहरत हे अनगिनती।
श्री वल्लभ के सन्मुख बैठे बेटा नाती पंती॥१॥
बीरा दे मुसिक्यात जात प्रभु बात बनावत बनती।
वृंदावन सुख पाय व्रजवधु चिरजीयो जियो भनती॥२॥