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चन्द्रमुखी ने गोर्की की तस्वीर निहारी / त्रिलोचन
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चन्द्रमुखी ने गोर्की की तसवीर निहारी
और कहा, यह मुझे नहीं अच्छा लगता है
और स्वयं तसवीर उलट दी, उसकी प्यारी
आँखों मे उल्लास खिला था । पर जगता है
भाव और ही मेरे मन में, पूछ ही पड़ा--
'तब तो तुम मुझ पर भी परदा ही डालोगी?'
'नहीं नहीं, ऎसा विचार कर आपने बड़ा
बुरा किया है' और हँस पड़ी । अच्छी होगी
लड़की कितनी, बात सोचता मौन रह गया ।
भला बुरा सुन्दर कुरूप की सारी बातें
मन में लहरें लेने लगीं, अबाध बह गया
कहाँ से कहाँ, देखी जीवन-पथ की घातें ।
जो आँखों में बसा वह भला ही होता है
ऎसा नहीं, भूल करने वाला रोता है ।