भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुदामजीको देखत श्याम हसे / सूरदास

Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:15, 21 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} {{K...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुदामजीको देखत श्याम हसे सुदामजीको देखत० ॥ध्रु०॥
हम तुम मित्र है बालपनके । अब तुम दूर बसे ॥ सुदामजी ॥१॥
फाटीरे धोती टुटी पगडीयां । चालत पाव घसे ॥ सुदा०॥२॥
भाभिजीने कुछ भेट पठाई । पोवे तीन पैसे ॥ सुदा०॥३॥
सूरदास प्रभु तुम्हारे मिलनसे । कंचन मेल बसे ॥ सुदामजी०॥४॥