भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रेडलाइट बच्चे / राजेन्द्र जोशी
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:59, 21 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |संग्रह=मौन से बतक...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हंसते और सयाने
चुहल करते
सुबह से साँझ
मेरी कोठरी में
अप-डाउन करते
बिना रोक-टोक
रेडलाइट एरिया के बच्चे
अचानक चलते-चलते
आते हैं मेरी कोठरी में
मना करने पर भी
पैताने बैठकर
पाँव दबाते मुखर होकर
आँखों पर सलवटें लाकर
आसुँओं को पीकर
बिना मुँह खोले
सबकुछ बयां करते/ सयाने से बच्चे
हँसते और सयाने से बच्चे
अपने घर की
चार दीवारी की परतों को खोलते
हँसते और सयाने
रेड लाइट एरिया के बच्चे