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प्रेम स्मृति-10 / समीर बरन नन्दी
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घमण्ड से मुख फेरे रही हो जीवन भर
आज मोनालिसा कि पेण्टिंग कैसे पूरी हो ?
टेलीफ़ोन के तार पऱ
पारुल चिड़िया गुमसुम बैठी
दिन बिता गई है ।
पेण्टिंग का ब्रश कह रहा है
मै रंग दूँगा, पूरा का पूरा रूप ।
एक दो केश ही खींच पाया हूँ अभी
प्यार बचा रहता है नहीं पाने वाले के घर ।
आज रोशनी की जब शाम हो
बादलों से रंग आया हो आकाश
संध्या मालती की सुबास छा रही हो चारों ओर
हम दोनों, सफ़ेद कासवान में
थोड़ी देर के लिए ही सही.. मिल सकते हैं ???