भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आशंका / निज़ार क़ब्बानी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:31, 31 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna {{KKAnooditRachna |रचनाकार=निज़ार क़ब्बानी |अनुवादक=...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

{{KKRachna

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: निज़ार क़ब्बानी  » आशंका

मैं कोई शिक्षक नहीं हूँ
जो तुम्हें सिखा सकूँ
कि कैसे किया जाता है प्रेम !
मछलियों को नहीं होती शिक्षक की दरकार
जो उन्हें सिखलाता हो तैरने की तरक़ीब
और पक्षियों को भी नहीं
जिससे कि वे सीख सकें उड़ान के गुर ।

तैरो-- ख़ुद अपनी तरह से
उड़ो-- ख़ुद अपनी तरह से
प्रेम की पाठ्य-पुस्तकें नहीं होतीं
और इतिहास में दर्ज़
सारे महान प्रेमी हुआ करते थे--
निरक्षर
अनपढ़
अँगूठा-छाप ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह