भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमें ख़ुदा की क़सम याद आईयां क्या क्या / सरवर आलम राज़ ‘सरवर’

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:31, 1 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरवर आलम राज़ 'सरवर' |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमें ख़ुदा की क़सम! याद आइय़ाँ क्या क्या!
जफ़ा के भेस में वो आशनाइय़ाँ क्या क्या!

उम्मीद-ओ-आरज़ू जी में बसाइय़ाँ क्या क्या
फ़रेब इश्क़ में दानिस्ता ख़ाइयाँ क्या क्या!

ख़ुदी से कुछ न मिला, बे-ख़ुदी से कुछ न मिला
हरीम-ए-शौक़ में ज़ेहमत उठाइयाँ क्या क्या!

इन्हीं से याद है ताज़ा गये ज़माने की
हमें अज़ीज़ हैं तेरी जुदाइयाँ क्या क्या!

मियान-ए-काबा-ओ-बुतख़ाना गुम खड़े थे हम
नज़र जो ख़ुद पे पड़ी तुझ को पाइय़ाँ क्या क्या!

न दीद की कोई सूरत, न वस्ल की उम्मीद
फिर उस पे हैं मिरी बे-दस्त-ओ-पाइयाँ क्या क्या!

फ़रेब-ए-दश्त-ए-तमन्ना में मुझ को छोड़ गयीं
ख़याल-ओ-ख़्वाब की मेहशर नुमाइयाँ क्या क्या!

न तेरी दोस्ती अच्छी, न दुश्मनी अच्छी
बना रख़्ख़ी हैं ये तू ने ख़ुदाइयाँ क्या क्या!

मक़ाम-ए-इश्क़ में ‘सरवर,तुझे भी ले डूबीं
तिरी अना ये तिरी ख़ुद-नुमाइयाँ क्या क्या!