भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

म्हें तो सगलाई देवता भेट्यां रे भंवरा / राजस्थानी

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:09, 13 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{ KKLokRachna |रचनाकार }} म्हें तो सगलाई देवता भेट्यां रे भंवरा।<br> म्हारे मा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

म्हें तो सगलाई देवता भेट्यां रे भंवरा।
म्हारे मायाजी रे तोले कोई नहीं भंवरा।
म्हे तो सगलाई कुलदेव भेंट्या रे भंवरा।
म्हारे भोपाजी रै तैल सिंदूर चढ़े रे भंवरा।
म्हें तो सगलाई देवां ने भेंट्या रे भंवरा।
म्हारे मायाजी रे तोले कोई नहीं रे भंवरा।