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बरस रही प्रभु-कृपा सभी पर / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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बरस रही प्रभु-कृपा सभी पर बिना भेद अनवरत अपार।
किंतु कर पाते अनुभव श्वास-हीन हम मोहागार॥
पर प्रभु-कृपा न वंचित रखती कभी किसीको परम उदार।
समुचित मधुर-तिक्त औषध दे हरती रहती रोग-विकार॥