भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हो रहो उसके, निरन्तर चरण में चिपटे रहो / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:56, 9 जून 2014 का अवतरण
(तर्ज गजल-ताल रूपक)
हो रहो उसके, निरन्तर चरणमें चिपटे रहो।
दूर मत होओ कभी, नित हृदयसे लिपटे रहो॥