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किनको / कन्हैया लाल सेठिया
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किनको खासी गोच उड़ारा
कणियां साचा घाल
काम नहीं आवैली थारै
मींझै री मजबूती,
आभै चढ़तो ओ मांगै लो
लांबी पूंछ अंणूती,
मै’ल माळियां अटक हुवै लो
फाट फूट बेहाल,
किनको खासी गोच उड़ारा-
कणियां साचा घाल।
फेर कर्यां स्यूं चेपा सांधो
घणो बढ़ैलो भार,
लांबी ढ़ील लियां डूबै लो
नहीं पड़ैली पार,
देतो फिरसी फेर पून नै
तूं झूठो ही आळ,
किनको खासी गोच उड़ारा
कणियां साचा घाल,
थारै मनड़ै मांय घणी जे
पेच करण री हूंस,
काण काढ़ लै, नही चलै ली
थां री झूठी धूंस,
और नहीं तो तूं बाजै लो
जग में साव लबाळ।
किनको खासी गोच उड़ारा
कणियां साचा घाल।