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बीज..! / कन्हैया लाल सेठिया

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सोनै री सिन्दूकां माथै
मोत्यां री माळां रै साथै
मत पळेट मुखमल में ई रो
जीवण जळम बिगाड़ो,

 ओ धरती री गोदी चावै,
कादो ईं रो जी हुळसावै,
हीरै सो जड़ मान, बीज रो
मती माजनों पाड़ो,

राखोला जे थाम हथेल्यां,
जासी बीत उगण री बेल्यां,
बेगो बूरो, मोह करो मत,
खोद जमीं में खाड़ो।