आजकल लड़ाई आ ज़माना है / त्रिलोचन
आजकल लड़ाई का ज़माना है
घर, द्वार, राह और खेत में
अपढ़-सुपढ़ सभी लोग
लड़ाई की चर्चा करते रहते हैं
जिन्हें देश-काल का पता नहीं
वे भी इस लड़ाई पर अपना मत रखते हैं
रूस, चीन, अमरीका, इंगलैंड का
जर्मनी, जापान और इटली का
नाम लिया करते हैं
साथियों की आँखों में आँखें डाल-डाल कर
पूछते हैं, क्या होगा
कभी यदि हवाई जहाज ऊपर से उड़ता हुआ जाता है
जब तक वह क्षितिज पार करके नहीं जाता है
तब तक सब लोग काम-धाम से अलग हो कर
उसे देखा करते हैं
अण्डे, बच्चे, बूढ़े या जवान सभी
अपना-अपना अटकल लड़ाते हैं :
कौन जीत सकता है
कभी परेशान होकर कहते हैं :
आख़िर यह लड़ाई क्यों होती है
इससे क्या मिलता है
हाथ पर हाथ धरे हिन्दुस्तान की जनता बैठी है
कभी-कभी सोचती है : देखो, राम या अल्लाह
किसके पल्ले बांधते हैं हम सब को
हिन्दुस्तान ऎसा है
बस जैसा-तैसा है