भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क़तील शिफ़ाई / परिचय

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:20, 19 दिसम्बर 2007 का अवतरण (New page: क़तील शिफाई 24 दिसंबर 1919 को हरीपुर हज़ारा में पैदा हुए थे । उनका असली नाम थ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क़तील शिफाई 24 दिसंबर 1919 को हरीपुर हज़ारा में पैदा हुए थे । उनका असली नाम था औरंगज़ेब ख़ान था । क़तील उनका तख़ल्‍लुस था, क़तील यानी वो जिसका क़त्‍ल हो चुका है । अपने उस्‍ताद हकीम मुहम्‍मद शिफ़ा के सम्‍मान में क़तील ने अपने नाम के साथ शिफ़ाई शब्‍द जोड़ लिया था । पिता के असमय निधन की वजह से पढ़ाई बीच में ही छोड़कर क़तील को खेल के सामान की अपनी दुकान शुरू करनी पड़ी, इस धंधे में बुरी तरह नाकाम रहने के बाद क़तील पहुंच गये रावलपिंडी और एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में उन्‍होंने साठ रूपये महीने की तनख्‍वाह पर काम करना शुरू किया । सन 1946 में नज़ीर अहमद ने उन्‍हें मशहूर पत्रिका ‘आदाब-ऐ-लतीफ़’ में उप संपादक बनाकर बुला लिया । ये पत्रिका सन 1936 से छप रही थी । क़तील की पहली ग़ज़ल लाहौर से निकलने वाले साप्‍ताहिक अख़बार ‘स्‍टार’ में छपी, जिसके संपादक थे क़मर जलालाबादी ।

जनवरी 1947 में क़तील को लाहौर के एक फिल्‍म प्रोड्यूसर ने गाने लिखने की दावत दी, उन्‍होंने जिस पहली फिल्‍म में गाने लिखे उसका नाम है ‘तेरी याद’ । क़तील ने कई पाकिस्‍तानी और कुछ हिंदुस्‍तानी फिल्‍मों में गीत लिखे । जगजीत सिंह-चित्रा सिंह और गुलाम अली ने उनकी कई ग़ज़लें और नज़्में गाई हैं । उनकी बीस से भी ज्‍यादा किताबें शाया हो चुकी हैं ।