पाग / कुंदन माली
1
गरीब री पाग
आप सूं आप
नीं उछलै़
2
पाग
इज्जत रो
बोझ ढोवै
पाग री आत्मा
सल़वटां रे बोझ
तलै़ दबी रेवै
3
पाग अत्याचारी री
हरेक डांट-फटकार नै
नाड़ नीची कर वणी री
पगथलि़यां नीचे जमीन री
हालत देखवा जोेग होवै
4
पाग जदी जदी, मनचायो
माथो चुणवा री कोसिस
करी पाग नै आपणो-
माथो, ठोकणो
पड़ियो
5
माथा पै
मेलवा ताईं
पाग टका सेर है
6
पाग, सबसूं
ऊंचै आसन
बैठबा खातर
आखी जिनगाणी
दांव पे ठेल देवै
7
पागड़ी, माथै चढ़ी
उमर भर इतरावेला
आपणी सन्तानां नै
कस्यो मूं डौ दिखावेला
8
पाग, गंगा नै
आपणो पूरबज
बतावै है
बराबर
धोई जावै है
9
पाग हरेक रो
वात पै भरोसो
क्यूं करै जद तक
वणी रो माथो
ठीक ठाक है
10
पागड़ी ने
धूला़ सूं
जनमजात ‘‘अेलर्जी’ हैं
किणनै राखै
किणनै चाखै
वणी री मर्जी है
11
घणा लोगां री पाग
घणा रै मन में
सकां रा बीज बोवे
पाग री पण
जात-न्यात होवै ?