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अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो / खड़ी बोली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

विवाह–गीत

अन्दर से लाड्डो बाहर निकलो

कँवर चौंरी चढ़ गयौ

होय लो न रुकमण सामणी ।

-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया

लखिया सा बाबा मेरी सामणी ।

तेरे बाबा को अपणी दादी दिलादूँ

होय लो न रुकमण सामणी ।

-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया

लखिया सा ताऊ मेरी सामणी

तेरे ताऊ को अपणी ताई दिलादूँ

होय लो न रुकमण सामणी

-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया

लखिया सा भाई मेरी सामणी

तेरे भाई को अपणी बाहण दिलादूँ,

होय लो न रुकमण सामणी

-मैं कैसे निकलूँ मेरे कँवर रसिया

लखिया सा बाबुल मेरी सामणी

तेरे बाबुल को अपणी अम्मा दिलादूँ

होय लो न रुकमण सामणी ।