भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आवारा हूँ / शैलेन्द्र

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:53, 21 दिसम्बर 2007 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आवारा हूँ, आवारा हूँ
या गर्दिश में हूँ आसमान का तारा हूँ - २
आवारा हूँ, आवारा हूँ

घर-बार नहीं, संसार नहीं
मुझसे किसी को प्यार नहीं - २
उस पार किसी से मिलने का इक़रार नहीं
मुझसे किसी को प्यार नहीं - २
सुनसान नगर अन्जान डगर का प्यारा हूँ
आवारा हूँ, आवारा हूँ

आबाद नहीं बरबाद सही
गाता हूँ खुशी के गीत मगर - २
ज़ख्मों से भरा सीना है मेरा
हंसती है मगर ये मस्त नज़र
दुनिया sss
दुनिया में तेरे तीर का या तकदीर का मारा हूँ
आवारा हूँ, आवारा हूँ
या गर्दिश में हूँ आसमान का तारा हूँ
आवारा हूँ, आवारा हूँ