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झील एक नाव है. / प्रेमशंकर शुक्ल

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झील एक नाव है
जो धरती में तैर रही है

लिए हुए यह इच्‍छाएँ  :
कि पानी है तो ज़िन्‍दगानी है
और पानी पाने से
प्‍यास नहीं होगी खंख

प्‍यास मर जाना
ज़िन्‍दगी के
ज़िन्‍दा न रहने की
कैफ़ियत है

शताब्‍दियों को
उनके घाट उतारती
झील एक नाव है
और कविता के भीतर
पानी का तनाव है