भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहिल वेदन जब उठल अंगना मे मुड़िया पटकल हे / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:16, 30 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= संस...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पहिल वेदन जब उठल अंगना मे मुड़िया पटकल हे
सासु अब ने खेलायब हे, तोरा बेटा संग लटगेनमा
सासु आब ने खेलायब हे
दोसर वेदन जब उठल पटिये पर मुड़िया पटकल हे
ननदी आब ने खेलायब हे, तोरा भइया संग लटगेनमा,
ननदी आब ने खेलायब हे
तेसर वेदन जब उठल, चौकठिये पर मूड़ी पटकल हे
गोतनी आब ने खेलायब हे, तोरा देओर संग लटगेनमा,
गोतनी आब ने खेलायब हे
चारिम वेदन जब उठल घरबामे मूड़ी पटकल हे
देओरा आब ने खेलायब हे, तोरा भइया संग लटगेनमा,
देओरा आब ने खेलायब हे
पाँचम वेदन जब उठल पलंगहि पर मुड़िया पटकल हे
बालमु आब ने खेलायब हे, तोरा संग लटगेनमा,
बालम आब ने खेलायब हे
छठम वेदन जब उठल लाल जनम लेल हे
सासु फेरो खेलब हे, तोरा बेटा संग लटगेनमा,
सासु फेरो खेलब हे