Last modified on 30 जून 2014, at 23:25

लाल बचा के मूड़न छलनि / मैथिली लोकगीत

Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:25, 30 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= संस...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

लाल बचा के मूड़न छलनि
तेँ हम नैहर अयलौं हो लाल
सोना के जे काड़ा मट्ठा
रूपा के करपैरी हो लाल
खासा मलमल के अंगा - टोपी
चौंसठ लागल फुदनियां हो लाल
खोना खराम चढ़ि भैया भौजो सँ पुछथिन
की-की बहिनो लयली हो लाल
कासा - पित्तर के काड़ा - मट्ठा
लोहा के करपैरी हो लाल
कारी कम्मल के अंगा ओ टोपी
दुइ-चारि लागल फुदनियां हो लाल
सोना खराम चढ़ि भैया भौजोसँ पुछथिन
की-की बहिनो लऽ जेती हो लाल
घर पछुअरबा मे बेलक गछिया
ताहिमे रेशम के डोरिया हो लाल
नन्दो के बान्हब, नन्दोसियो के बान्हब
ताहिमे ननदोक भैया हो लाल
एमकी के बेरिया छोड़ि दऽ हे भौजो
आब नहि नैहर एबै हो लाल
सौ लय एलौं, पचासस नहि पूरल
मूरोमे भऽ गेल हानियें हो लाल