मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
लाल बचा के मूड़न छलनि
तेँ हम नैहर अयलौं हो लाल
सोना के जे काड़ा मट्ठा
रूपा के करपैरी हो लाल
खासा मलमल के अंगा - टोपी
चौंसठ लागल फुदनियां हो लाल
खोना खराम चढ़ि भैया भौजो सँ पुछथिन
की-की बहिनो लयली हो लाल
कासा - पित्तर के काड़ा - मट्ठा
लोहा के करपैरी हो लाल
कारी कम्मल के अंगा ओ टोपी
दुइ-चारि लागल फुदनियां हो लाल
सोना खराम चढ़ि भैया भौजोसँ पुछथिन
की-की बहिनो लऽ जेती हो लाल
घर पछुअरबा मे बेलक गछिया
ताहिमे रेशम के डोरिया हो लाल
नन्दो के बान्हब, नन्दोसियो के बान्हब
ताहिमे ननदोक भैया हो लाल
एमकी के बेरिया छोड़ि दऽ हे भौजो
आब नहि नैहर एबै हो लाल
सौ लय एलौं, पचासस नहि पूरल
मूरोमे भऽ गेल हानियें हो लाल