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सजनवा बैरी हो गए हमार / शैलेन्द्र
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सजनवा बैरी हो गए हमार !
जाए बसे परदेस सजनवा, सौतन के भरमाए
न संदेस, न कौनउं ख़बरिया, रुत आए रुत जाए
डूब गए हम बीच भंवर में, करके सोलह पार
- करमवा बैरी हो गए हमार !
सूनी सेज, गोद मेरी सूनी, मरम न जाने कोय
छटपट तड़पे प्रीत बेचारी, ममता आँसू रोए
ना कोई इस पार हमारा, ना कोई उस पार
- सजनवा बैरी हो गए हमार !