भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नगरहिक नाथ कन्हैया देखू हे मैया / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:33, 1 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नगरहिक नाथ कन्हैया देखू हे मैया
गाइक गोबर लए लांगन नीपल, कंचन कलश धरैया, देखू...
पाँच सखी मिलि अरिपन देलनि, राधा के बैसैया, देखू...
पानक ढ़ोली लए कृष्ण के देलनि, मंगल गाबि चुमैया, देखू...
दुभि अक्षत लए मुनि सभ आयल, शीश झुकाबे कन्हैया, देखू...