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आपां परजीवी हां / ओम पुरोहित कागद

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आभै मायं बणता
धुंअै रा माडणां
भांत भांत रा
मिनख री देह सा
रूई रा फोआ सा
और न जाणै के के।

अै निरा चितराम नी है
अर ना चिमन्यां रो
कळूटो अर भूरो धूंओ।

आप हांसो
पण इण बाबत
कीं न कीं जाणो।

म्है बताऊं !
पण क्यूं बताऊं
तद थां खनै भी
म्हां जैड़ी आंख है
म्हां जेड़ो मांथो
अर उण बीचै दिमाग है
खुदो-खुद जाणो
क्यूं कै थां खनै भी
जाणन रो
सांगोपांग अधिकार है
आप जाणो हो
पण जाण‘र
अजाण बण्योड़ा
क्यूं कै थे
सुविधाभोगी हो
अर सुविधाभोगी
सुविधा रै उपज रो
कहानी जाणन री
कदै‘ई कोसिस नीं करै
थे भी नीं करी।

आप ओ भी जाणो हो
कै मीलां मांय
भूख भरबतै मानखै रै
काळजै मांय लाग्योड़ी लाय
ओज्यूं धुधकै
अर उण री धूओं
मीलां री चिमन्यां
आभै मांय पटकै।
आभो थारो है सा !
थारै मनां रा
चितराम कौरै
इणी खातर आप
मनभांवता मांडणा देखो ।
पण आप नै
थोड़ो सावचेत रे‘वणो है
क्यूं कै मजूर रै काळजै मांय
धधकतो धूंओ
कदै भी लाय बण सकै
बस
हवा लावण री देर है।
आप ओ भो जाणो हो
अर जे नीं भी जाणो
तो भी जाणो
कै जिण भांत धूंअै रो
चितराम बणै
उणी भांत
लपकती लांय रो भी
चितराम बणै
पण
धूंअै रै अर लांय रै चितराम मांय
फरत फगत इतो है
कै धूंअै रा चितराम
बणै अर मिट ज्यावै
पण लाय रा चितराम
भख भी लेया करै
भख! भख उणा रा
जकां रा नाम
मजूर रै काळजै मांय मंड्योड़ी
हिटलिस्ट मांय हुवै ।
अर मालकां !
आप रो नाम
उण हिटलिस्ट मांय
सब स्यूं सिरै हुवै।

इण खातर
चेतो मालकां !
छांटो दयो काळजां मांय
धधकती लाय उपर
हाथा जोड़ी करो
थारै इरादा री
फूटरी पांड़ी बाधण आळी
मीला री फुंकारती
चितन्या नै देख
करड़ावण धारण आळी
थारी मर्योड़ी आत्मा रै आग
अर कै‘वो उण नै
कै बा जागै।
नीं तो मालका
उण हांसी नै
कोई नी रोकैला
जकी हंसी थारै काळजां मांय
पड़तै धू‘अैनै देख
सम हांसैला।