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हम योगिन तिरहुत के / मैथिली लोकगीत
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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हम योगिन तिरहुत के रे मन मोहब
हमहि नून पढ़ायब हमर बस रहताह
सएह सुनि मधुपुर जयताह, हीरा लयताह
सुबुधनि देतीह हाथ की मोन हर्षित होयताह
सुबुधनि धेलनि सनुक कि ताला ठोकि देल
माय बहिन बिछुअएली मुरूछिकऽ खसलीह