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तयांळीस / प्रमोद कुमार शर्मा
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चिड़ी, अे चिड़ी!
सबद मांय कीड़ी
बणÓर चालूं हूं राह-राह
तूं निगैदास्ती राखी
कीं सबद मुंडेरा ऊपर सूं
म्हारै आंगणै न्हांखी
अंधारै मांय सबद रै
सिळगाऊं हूं
-बीड़ी।