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पचास / प्रमोद कुमार शर्मा
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सबद मांडणो
धार है खांडै री
सिर देवणो पड़ै साच नैं
जणा जाÓर हिड़दै मांय वास करै
होर्ण सो बाजै प्रेसर आळो
जद सबद घट मांय परकास करै
नींतर कूड़ बण'र रैयज्यै
दवाई आंडै-सांडै री!