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बहत्तर / प्रमोद कुमार शर्मा

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क्यूं तो कोई अळबाद करै
क्यूं करै कुचमाद
-याद
जदकै रैवणो नीं है कीं भी मरतै टैम
होय सकै कोई राम सिंवरल्यै
पण कठै है भाखा में सुमिरण री
-खाद!
बठै तो बाजारू माणसिया गिंधावै है
पड़ री भाखा री रीढ मांय
-राध!
क्यूं करै कुचमाद।